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Friday, December 2, 2011

एक चोरी, एक फरेब-3

पवार उठने लगा, तो डीआईजी कुर्सी पर पहलू बदलते हुए बोले- सुनो, इस वारदात को लेकर रात तक मीडिया वाले तुम्हें भी फोन करेंगे. स्टोरी प्लांट कर देना. कह देना केस लगभग खुल गया है. अजय कालरा ने चोरी की है. हमारे पास गवाह भी है, सुबूत भी. फिर वो मुझसे पुष्टि करने की कोशिश करेंगे, मैं हामी भर दूंगा. कम से कम कल अखबारों में तो ज्यादा शोर नहीं मचेगा. कुछ चैनल्स पर खबर दिन में चल रही थी. उन्हें भी बाइट्स दे देना.
पवार- सर. दो टीम बनाई हैं. अभी अजय कालरा की माली हालत चेक करने का काम शुरू हो रहा है. असल में कल बैंक्स के खुलने पर ज्यादा बेहतर हो पाएगा. शहर में तमाम लोग उसे जानते हैं. करीबियों की लिस्ट बनाई है. उनके जरिये कालरा की कुंडली खंगाली जा रही है.
पवार कमरे से निकलते हुए ठिठका.. पलटकर कुछ यूं बोला जैसे अभी ध्यान आया हो - सर आपने जिस मामले में एफआर के लिए कहा था, उसमें फाइनल रिपोर्ट सीओ साहब के यहां भिजवा दी है. लेकिन सर थानेदार और इनवेस्टिगेशन आफिसर बहुत ना-नुकुर कर रहे थे. उन्हें बताया भी कि आपका आर्डर है, लेकिन कहने लगे कि सर हमें सीधे भी तो कह सकते थे.
डीआईजी के चेहरे पर साफ नाराजगी के भाव आए. बोले- एक तो वारदात नहीं खुलती. ऊपर से इनकी मिन्नत करें. चलो कल क्राइम मीटिंग है. सारा नजला ठीक हो जाएगा. तुम जरा इस समय इनवेस्टिगेशन पर कम और कल सुबह के न्यूज मैनेजमेंट पर ज्यादा ध्यान देना. वैसे ही विधानसभा का सत्र चल रहा है. जरा सी बात पर हल्ला-गुल्ला मचा देता है अपोजिशन. और हां, अपोजिशन पार्टी के विधायक राम प्रकाश का प्रतिनिधि मौका-ए-वारदात पर पहुंचा था. तुम सीधे विधायक को ब्रीफ कर देना कि केस सॉल्व होने वाला है. नहीं तो कल विधानसभा में बवंडर खड़ा करेगा.
पवार- सर.
इंस्पेक्टर के निकलते ही डीआईजी ने कुर्सी पर यूं पहलू बदला जैसे कितने थक गए हों. घड़ी पर नजर डाली तो छह बज चुके थे. याद आया कि श्रीमती आज थ्री इडियट्स देखने के मूड में थी. शाम का प्रोग्राम बनाते हुए डीआईजी विदा हुए.


रात नौ बजे
पुलिस लाइन की जर्जर सी इमारत के दो कमरों में चलने वाला एंटी थैफ्ट सेल का दफ्तर. असल में ये दो कमरे साहब के मिजाज वाले स्कवॉड का दफ्तर होती हैं. पिछले डीआईजी के समय में ये एंटी टेरेरिस्ट सेल का दफ्तर थी. उससे पहले गुंडा दमन दल (यानी छेड़छाड़ के खिलाफ अभियान चलाने वाली टीम). और उससे पहले स्पेशल इनवेस्टिगेशन सेल. असल में जब मौजूदा डीआईजी ने चार्ज लिया, उसके अगले दिन ही एक सीनियर आईपीएस ऑफिसर की साली के घर में चोरी हो गई. राजधानी से डंडा चला, तो रातों-रात एंटी थैफट सेल का गठन हो गया. अब बिना काम के इस स्कवॉड से पीछा छुड़ाने के लिए सिपाही और दरोगा पेशकार को पैसे देते हैं. बहरहाल आज ये दफ्तर रात में भी गुलजार है. पवार मीडिया को अपनी पसंद की घुट्टी पिला चुका है. सही राम की गवाही से लेकर अजय कालरा की रात में अपने दफ्तर में मौजूदगी तक का किस्सा कल चोरी की वारदात की रिपोर्टिंग पर हावी होगा. लेकिन बात खत्म नहीं हुई है. अभी घटना तो ज्यों कि त्यों सामने है.
पवार- शहजाद, क्या कुछ हाथ लगा.
शहजाद (जो इंस्पेक्टर का मुंहलगा दरोगा है)- साहब, अजय कालरा की साख तो बहुत अच्छी है. क्लब चक्कर मार कर आया था. सालों से उसके साथ उठने बैठने वाले उसके नाम की कसम खाते हैं. कंपनी के एमडी आफिस फोन किया था. वहां चीफ मैनेजर आपरेशंस से फोन पर बात हुई. उन्होंने अजय कालरा के इस वारदात में शामिल होने की किसी भी आशंका से साफ इनकार कर दिया. लाख दलीलें देने पर भी वो इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हुए. कालरा का नाम इस मामले में आने की सूरत में उन्होंने तमाम किस्म की धमकियां और दे डाली हैं. कंपनी के मालिकान सत्तारूढ़ पार्टी के बहुत नजदीकी हैं साहब. मुझे तो लगता है कि हमें अपनी स्पीड कुछ स्लो कर देनी चाहिए.
पवार- क्या मतलब. हमें पता है चोर कौन है. अब कंपनी की जिद है कि हम कालरा को चोर न माने, तो इस बात को कैसे माना जा सकता है. और अगर वो लोग ये जिद कर रहे हैं, तो इसका ये मतलब भी तो लगाया जा सकता है कि कंपनी खुद कालरा के साथ मिलकर चोरी करा रही है. मेरी कल सुबह कंपनी बात कराना. मैं उन्हें ये सारी तीन-तेरह पुलिस के अंदाज में समझाऊंगा, तो समझ आ जाएगी.
कुछ पल की खामोशी के बाद पवार ने अनमने से अंदाज में कहा-महिला थाने से एक दरोगा को भी तो भेजा था सोनिया कालरा से बात करने के लिए. कोई लौटकर बताता ही नहीं क्या हुआ. औरतों के साथ तो और ज्यादा दिक्कत है. मैडम चूल्हा फूंकने की जल्दी में बिना रिपोर्ट किए ही निकल गईं.
शहजाद- नहीं साहब. दरोगा रितु गई थीं. वो लाइन में ही रहती हैं. वो आफिस में बताकर गईं हैं कि ड्रेस चेंज करके आ रही हैं.
पवार- चलो आओ... एक बार फिर पूरी कहानी दोहरा लें. चोरी पांच करोड़ की हुई. करेंसी चेस्ट तक बिल्डिंग के अंदर से कालरा की पहुंच थी. चाबी कालरा के पास थी. रात को उसने चोरी की. उस समय सोनिया कालरा भी वहां पहुंची थीं. गार्ड सही राम ने उन्हें देखा. रातभर चोरी के बाद मचने वाले हंगामे के तनाव या अपराधबोध में सुबह कालरा को हार्ट अटैक हो गया. (फिर पवार धीरे से बुदबुदाया, बिल्कुल ठीक. बस रकम बरामद हो जाए)


अगले दिन सुबह अखबारों में पांच करोड़ की चोरी के साथ हेडिंग में इस बात का भी जिक्र था कि मैनेजर ने ही वारदात को अंजाम दिया है. पुलिस के सुबूतों और गवाहों की सजती सी कहानी भी लोगों के सामने थी. वारदात की सनसनी पर पानी डल चुका था. मीडिया में फायर फाइटिंग के बाद पुलिस की रुटीन कवायद शुरू हुई. अजय कालरा के खाते खंगाले गए. वह बहुत सुलझा हुआ इंसान था. उसके खाते में सारी रकम नंबर एक की थी. इनवेस्टमेंट बहुत समझदारी के साथ किए गए थे, जो उसे बहुत अच्छा रिटर्न दे रहे थे. कुल मिलाकर बुढ़ापा बहुत आराम से कट जाए, इसका सारा इंतजाम था. इनवेस्टमेंट-असेस्ट्स के मामले में अजय कालरा करोड़पति हस्ती निकला, जिसके आयकर रिटर्न ऐन दुरुस्त थे. पुलिस ने लाख सिर खपाया, लेकिन कोई क्रिमनल हिस्ट्री नहीं. जरा सी भी उंगली उठ सके, इतना तक मामला नहीं. पुलिस की मजबूरी इसलिए बढ़ गई कि कालरा अस्पताल के आईसीयू में था. पुलिस के हथकंडे, यानी थर्ड डिग्री की संभावना नहीं थी. अगर अजय कालरा ठीक-ठाक होता, तो चोरी में शामिल न होते हुए भी पुलिस के थाने में इकबालिया बयान दे चुका होता. और फोटो खिंचवाकर जेल चला गया होता. डीआईजी से लेकर पवार तक हाथ मल रहे थे, लेकिन डाक्टर्स का कहना था कि कालरा से अभी उसके परिवार के लोग ही नहीं मिल सकते. खैर समय गुजर रहा था, मामला ठंडा पड़ रहा था. बिना रिकवरी, बिना इकबालिया बयान और बिना मोटिव, कैसे कालरा पर मुकदमा चलेगा. इस सारे केस में अब रिकवरी और मोटिव (उद्देश्य) बहुत अहम रूप ले चुके थे. कालरा पर उंगली उठाने वाली इकलौती गवाही सही राम की थी, लेकिन उसने भी कालरा को अपनी आंख से नहीं देखा था. सोनिया कालरा को देखने और आवाज सुनने की वो गवाही देता था, लेकिन सोनिया कालरा उतने ही पुरजोर ढंग से इस बात से इंकार कर रही थी. महिला पुलिस ने तमाम पैंतरों से सोनिया कालरा से पूछताछ कर ली थी, लेकिन वो इस बात से टस से मस न हुई कि चोरी की वारदात वाली रात वो घर के नीचे बैंकर की बिल्डिंग में अपने पति के दफ्तर में गई थीं. मीडिया में कुछ समझदार पत्रकार अब पुलिस की कहानी की धज्जियां उड़ाने लगे थे.
क्रमशः

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