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Wednesday, November 30, 2011

एक चोरी, एक फरेब

तकरीबन दस बजे
राजनगर की जबरन चमकाई नजर आने वाली ये बिल्डिंग असल में संपूर्णानंद बैंकर का दफ्तर है. बिल्डिंग के बाहर पुलिस की गाड़ियों की कतार लगी है, जो इस बात की चुगली बिना पूछे कर रही है कि जरूर कोई बड़ी वारदात हुई है. बाहर खड़े सिपाही अंदर गए साहब लोगों का इंतजार कर रहे थे. अंदर गए साहब लोग अमूमन वारदात की जगह पर अंदर जाते हैं... फिर कुछ देर बाद तेजी से बाहर निकलकर अपनी-अपनी जीप में बैठकर अलग-अलग डायरेक्शन में दौड़ पड़ते हैं. मानो अभी मुल्जिम को पकड़कर अंदर हवालात कर देंगे. कुछ साहब लोग बाहर निकलकर मीडिया को बताते हैं. वही रटे-रटाए डायलाग... सुराग मिल गए हैं. जल्द गिरफ्तारी होगी. घटना संदिग्ध है. या फिर पुलिस की इतनी टीम लगा दी गई हैं. अगले दिन पोर्टर टाइप के रिपोर्टर खबरों को कुछ यूं लिख देते हैं कि मानो वारदात का खुलासा बस होने वाला है. और हां, उसमें पीड़ित की पीड़ा दिखाई दे न दे, वर्जन देने वाले अफसर की या मौके पर मौजूद आला अधिकारियों की तस्वीरें जरूर होती हैं. फिंगर प्रिंट टीम अभी पहुंची है. इस टीम का नाम सुनकर हॉलीवुड स्टाइल हाइटेक टीम की तस्वीर दिमाग में न बना लीजिएगा. टीम के नाम पर दो लोग हैं, जो कंधे पर एक लगातार लटकने और इस्तेमाल होने के कारण बदरंग हो चुका बैग लेकर पहुंचते हैं. जब तक ये पहुंचते हैं, थाना, अफसर घटनास्थल पर इतने फिंगरप्रिंट छोड़ चुका होता है कि मुल्जिम के निशान ढूंढना भूसे के ढेर में सुई ढूंढने जैसा है.
अचानक सरगर्मी तेज होती है. डीआईजी साहब बाहर आ गए हैं. पीछे मातहतों की फौज है. इनमें से कई दरोगा और इंस्पेक्टर डायरी लिए हैं, जो इन्होंने बरसों से नहीं खोली. कैमरे की फ्लैश चमकती है, तो रिफ्लेक्स में डीआईजी के चेहरे पर मुस्कान चमक जाती है. उन्हें इस गलतफहमी का शिकार बनाया जा चुका है कि उनका चेहरा फोटोजनिक है और अगर पुलिस डिपार्टमेंट की नौकरी न बजा रहे होते, तो सिंघम अजय देवगन के हाथ से निकल गई होती. बहरहाल उत्सुक मीडियाकर्मियों को वो हाथ का इशारा करके यूं शांत करते हैं, जैसे मैथ्स का मास्टर कक्षा में दाखिल हो गया हो. मीडियाकर्मियों के चेहरे पर भी वही उत्सुकता के भाव हैं, जो पहली बार रेशमा की जवानी देखते समय ग्याहरवीं कक्षा के छात्र के चेहरे पर होते हैं. डीआईजी साहब बताते हैं, चोरी हुई है. अभी ठीक रकम का अंदाजा तो एकांउटेंट के आने के बाद होगा, लेकिन अनुमान तकरीबन पांच करोड़ का है. संपूर्णानंद बैंकर के दफ्तर में मैनेजर के कमरे में बने करेंसी चेस्ट से पांच करोड़ रुपये चोरी हुए हैं. सुबह तकरीबन नौ बजे चोरी का पता चला. करेंसी चेस्ट के सामने ही मैनेजर अजय कालरा अपनी कुर्सी पर बेहोश मिले. उन्हें दिल का दौरा पड़ा है और गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है. करेंसी चेस्ट को तोड़ा नहीं गया, बल्कि चाबी से खोला गया है. अभी तक मौका-ए-वारदात के मुआयने से पता चलता है कि ये किसी अंदर के आदमी का काम है.
बड़ी खबर मिलने की खुशी (चाहे वो किसी का घर लुटने से मिले या फुंकने से) में मीडियाकर्मी तेजी से खिसक लिए. तमाम जरूरी सवालों के जवाब लिए बगैर. जवाब बाद में मिल जाएंगे. पहले ब्रेकिंग देनी है. मीडिया के निकल जाने के बाद डीआईजी अपनी गाड़ी में बैठे. उनके बैठने के साथ ही वायरलैस पर मैसेज गूंजा, एंटीथैफ्ट सेल को दफ्तर तलब किया गया है. एंटीथैफ्ट सेल से ये मुगालता मत पाल लीजिएगा कि ये चोरी के मामलों के स्पेशलिस्ट हैं. पुलिस में होना ही अपने आप में सबसे बड़ा स्पेशलाइजेशन हैं. एंटीथैफ्ट सेल के जो आजकल इंचार्ज हैं, पिछली पोस्टिंग पर किसी अफसर के पेशकार थे. उससे पहले थाना इंचार्ज. और उससे पहले स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) में.
क्रमशः

2 comments:

SATYA said...
This comment has been removed by the author.
SATYA said...
This comment has been removed by the author.

Apradh with Mridul