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Thursday, December 1, 2011

एक चोरी, एक फरेब-2

एंटी थैफ्ट सेल ने शाम तकरीबन चार बजे वारदात को लेकर अपनी रिपोर्ट अफसरों के सामने रखी. सुबह-सुबह चोरी की सूचना पर भागे दरोगाओं के चेहरे से साफ नजर आ रहा था कि न नींद पूरी हुई है, न खाना. बहरहाल वारदात को लेकर कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं. जुर्म की तह तक जाने के लिए घटना की कड़ी का मिलना बहुत जरूरी है. मौका-ए-वारदात असल में मोती के टूटे दानों की माला की तरह है. एक-एक मोती तलाशना और उसे सिलसिले से पिरोना माला को तैयार करने या मुल्जिम के लिए जरूरी है. लेकिन पुलिस क्या करती है, इसका अंदाजा जरा इस वारदात को लेकर हुई तफ्तीश, बयान, सुबूत और फिर उससे निकलने वाले निष्कर्ष से लगाइये.
डीआईजी- हां, पवार बताओ क्या निकला.
पवार (जो असल में संजय पवार नाम का इंस्पेक्टर है)- सर मामला लगभग खुल गया है. चोरी की घटना मैनेजर कालरा ने ही अंजाम दी है. हमारे पास ठोस गवाह है, परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं.
डीआईजी- फिर वो वहां बेहोश क्यों पड़ा था. हमें तो बताया गया कि हालत बहुत सीरियस है उसकी.
पवार- साहब वो चोरी तो कर गया, लेकिन सुबह होते-होते अंजाम का अहसास हुआ, तो दिल जवाब दे गया. वैसे अब उसकी हालत स्टेबल है. लेकिन पुलिस से बात करने लायक तो शायद एक महीने में भी नहीं हो पाएगा.
डीआईजी- तो क्या किया जाए. गिरफ्तारी भी नहीं हो सकती. घर की तलाशी लो. रात भर में पांच करोड़ कहां छिपाया होगा. बरामदगी ही हो जाए, तो जान छूटे.
पवार- सर, तलाशी हो गई. कुछ नहीं मिला.
डीआईजी- अरे. फिर... अच्छा चलो ये बताओ कि गवाहों और सुबूतों के जरिये वारदात का क्या नक्शा बनता है.
पवार- सर, आपने मौके पर देखा था. नीचे दफ्तर है, ऊपर मैनेजर का आवास है. आफिस में कैशियर, कलेक्टर व बाकी स्टाफ समेत तीस लोग हैं. शाम पांच बजे स्टाफ के जाने के बाद नीचे के हिस्से को बाहर से लॉक कर दिया जाता है. खुद मैनेजर कालरा उसे लॉक करते थे. रात आठ बजे यहां मौजूद सिक्योरिटी गार्ड की शिफ्ट चेंज होती थी. रात की शिफ्ट परमानेंट तौर पर एक ही गार्ड करता रहा है. पिछले पांच साल से सही राम यहां गार्ड है. रिटायर्ड फौजी है. बेदाग रिकार्ड. बहुत भरोसेमंद. इस भरोसे का ही तकाजा है कि दिन वाले सिक्योरिटी गार्ड से दोगुनी तनख्वाह पाता है. अंदर जाने के लिए एक और रास्ता है, जो ऊपर के फ्लोर, यानी अजय कालरा के मौजूदा निवास से है. ये सीढ़ियां मैनेजर के दफ्तर के ठीक बराबर में एक गलियारे में नीचे उतरती हैं. तयशुदा रुटीन के मुताबिक अजय कालरा बाहर से ग्राउंड फ्लोर को लॉक करने के बाद परिसर में बनी सीढ़ियों से ऊपर जाते थे. फिर अंदर के जीने से नीचे उतरकर दफ्तर में जाते थे. बाकी काम निपटाते थे. जिसमें अमूमन उन्हें सात बज जाते थे. रात तकरीबन आठ बजे नियमित तौर पर वो एक क्लब में जाते थे, जहां से लौटते-लौटते उन्हें दस बज जाते थे.
डीआईजी- हूं, तो सारी चाबी उनके पास होती थीं. और मौका भी. अच्छा घर में कौन-कौन है.
पवार- पत्नी और एक बेटा. श्रीमती सोनिया कालरा हाउसवाइफ हैं. बेटा शिशिर अभी दो महीने पहले ही सीए कंपलीट करके कालरा के दफ्तर में ही काम करता है. फिलहाल प्रोबेशन पीरियड पर है, लेकिन बैंकर की प्लानिंग शिशिर को नोएडा आफिस में शिफ्ट करने की है. बेटा तो शाम साढ़े पांच बजे ही हेल्थ क्लब चला जाता है. जहां से रात को देर से ही लौटता था.
डीआईजी- गवाहों से क्या निकला.
पवार- सर सबसे चौंकाने वाली जानकारी, या यूं कहिए केस का टर्निंग पाइंट सिक्योरिटी गार्ड सही राम की गवाही है. सही राम रात आठ बजे ड्यूटी पर पहुंचा. उसने सारे लॉक चेक किए. इसके बाद सही राम सिक्योरिटी गार्ड रूम में बैठ गया, जहां सीसी टीवी कैमरे पर वो बैंक के अंदर भी नजर रख सकता है. सही राम के मुताबिक रात आठ बजकर पांच मिनट पर बिल्डिंग के ऊपर के पोर्शन के दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज आई. फिर गाड़ी स्टार्ट हुई. ये आवाज वो रोज सुनता रहा है. उसने नतीजा निकाला कि अजय कालरा क्लब चले गए हैं. लेकिन तकरीबन सवा आठ बजे उसकी स्क्रीन पर नजर पड़ी. निचले फ्लोर पर बहुत कम रोशनी थी. अजय कालरा के यानी मैनेजर के कमरे में नीम अंधेरा था. केबिन का दरवाजा खुला हुआ था और उसके गेट पर सोनिया कालरा खड़ी थीं. सही राम गार्ड रूम और बिल्डिंग के बीच बने लोहे के मजबूत जाल वाले पारदर्शी पैनल पर पहुंचा. सोनिया कालरा उस समय कह रही थीं, अजय तुम गए नहीं. अंधेरे में अपने केबिन में क्या कर रहे हो. सहीराम मुतमईन हो गया कि केबिन में अजय कालरा हैं तो वो अपनी सीट पर लौट आया. तब तक केबिन लॉक हो चुका था. यानी अजय और सोनिया कालरा ऊपर जा चुके थे. शिशिर रात को तकरीबन ग्यारह बजे लौटा, उस समय अजय कालरा अपनी गाड़ी गैराज में पार्क कर रहे थे. दोनों ने ऊपर जाकर खाना खाया और सो गए. सुबह नौ बजे अजय कालरा रोज की तरह नीचे आए. चूंकि अजय कालरा नाश्ता करके नहीं आए थे, इसलिए सोनिया कालरा उन्हें बुलाने के लिए नीचे आईं. जहां उन्होंने खुली करेंसी चेस्ट के सामने अजय कालरा को बेहोश पाया.
डीआईजी- ये तो ओपन एंड शट केस हैं. सोनिया कालरा क्या कहती हैं सही राम की शहादत के बारे में.
पवार- सर वो तो इस बात से साफ मुकर गईं कि वो कल रात नीचे गईं थी और अपने पति से बात की थी.
डीआईजी- और क्या कहेगी पवार. सही राम की हां-हां में मिलाने का मतलब वो भी जानती है. सहीराम की गवाही उनके पति को चोर ठहरा रही है. ऐसे में कोई भी समझदार औरत कानून का डंडा तो झेल लेगी, लेकिन पति को बचाने की कोशिश करेगी. अजय कालरा की माली हालत चेक कराओ. सारे सुबूत चौकस रखो. जरा शिफा पा जाए ये कालरा का बच्चा. तुरंत जेल की हवा खाएगा.
पवार- ओके सर...
क्रमशः

1 comment:

sachin tyagi said...

sir, baat nikli hai dur tak jayegi. jab shuraat ye hai to mukaam kya rang dikheyegi.
sir intro ka to jwaab he nhi...
(SACHIN TYAGI)

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